जागा फागुन
***
1.
होली कहती-
खेलो रंग गुलाल
भूलो मलाल।
2.
जागा फागुन
एक साल के बाद,
खिलखिलाता।
3.
सब हैं रँगे
फूल, तितली, भौंरे
होली के रंग।
4.
खेल तो ली है
रंग-बिरंगी होली
रँगा न मन।
5.
छुपती नहीं
होली के रंग से भी
मन की पीर।
6.
रंग-अबीर
तन को रँगे, पर
मन फ़क़ीर।
7.
रंगीली होली
इठलाती आई है
मस्ती छाई है।
8.
उड़के आता
तन-मन रँगता
रंग-गुलाल।
9.
मुर्झाए रिश्ते
किसकी राह ताके
होली बेरंग।
10.
रंग-अबीर
फगुनाहट लाया
मन बौराया।
-जेन्नी शबनम (12.3.2017)
___________________