हथेली ख़ाली है
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मेरी मुट्ठी से आज फिर
कुछ गिर पड़ा
और लगता है कि
शायद यह अंतिम बार है
अब कुछ नहीं बचा है गिरने को
मेरी हथेली ख़ाली पड़ चुकी है।
अचरज नहीं पर कसक है
कहीं गहरे में काँटों की चुभन है
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मेरी मुट्ठी से आज फिर
कुछ गिर पड़ा
और लगता है कि
शायद यह अंतिम बार है
अब कुछ नहीं बचा है गिरने को
मेरी हथेली ख़ाली पड़ चुकी है।
अचरज नहीं पर कसक है
कहीं गहरे में काँटों की चुभन है
क़तरा-क़तरा वक़्त है जो गिर पड़ा
या कोई अल्फ़ाज़ जो दबे थे मेरे सीने में
और मैंने जतन से छुपा लिए थे मुट्ठी में कभी
कि तुम दिखो तो तुमको सौंप दूँ।
या कोई अल्फ़ाज़ जो दबे थे मेरे सीने में
और मैंने जतन से छुपा लिए थे मुट्ठी में कभी
कि तुम दिखो तो तुमको सौंप दूँ।
पर अब यह मुमकिन नहीं
वक़्त के बदलाव ने बहुत कुछ बदल दिया है
अच्छा ही हुआ
जो मेरी हथेली ख़ाली हो चुकी है
अब खोने को कुछ नहीं रहा।
वक़्त के बदलाव ने बहुत कुछ बदल दिया है
अच्छा ही हुआ
जो मेरी हथेली ख़ाली हो चुकी है
अब खोने को कुछ नहीं रहा।
- जेन्नी शबनम (18 . 4. 2011)
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