धरा बनी अलाव  
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1.  
दोषी है कौन?  
धरा बनी अलाव,  
हमारा कर्म।   
2.  
आग उगल  
रवि गर्व से बोला-  
सब झुलसो!  
3.  
रोते थे वृक्ष-  
'मत काटो हमको' 
अब भुगतो।   
4.  
ये पेड़ हरे  
साँसों के रखवाले  
मत काटो रे। 
5.  
बदली सोचे-  
आँखों में आँसू नहीं  
बरसूँ कैसे?  
6.  
बिन आँसू के  
आसमान है रोया,  
मेघ खो गए।   
7.  
आग फेंकता  
उजाले का देवता  
रथ पे चला।   
8.  
अब तो चेतो  
प्रकृति को बचा लो,  
नहीं तो मिटो।   
9.  
कण्ठ सूखता  
नदी-पोखर सूखे  
क्या करे जीव?  
10.  
पेड़ व पक्षी  
प्यास से तड़पते  
लिपट रोते।   
-जेन्नी शबनम (29.6.2017)
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