शनिवार, 1 सितंबर 2018

585. फ़ॉर्मूला (पुस्तक 65)

फ़ॉर्मूला   

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मत पूछो ऐसे सवाल   
जिसके जवाब से तुम अपरिचित हो   
तुम स्त्री-से नहीं हो   
समझ न सकोगे स्त्री के जवाब   
तुम समझ न पाओगे, स्त्री के जवाब में   
जो मुस्कुराहट है, जो आँसू है   
आख़िर क्यों है,   
पुरूष के जीवन का गणित और विज्ञान   
सीधा और सहज है   
जिसका एक निर्धारित फ़ॉर्मूला है   
मगर स्त्रियों के जीवन का गणित और विज्ञान   
बिलकुल उलट है   
बिना किसी तर्क का   
बिना किसी फ़ॉर्मूले का,   
उनके आँसुओं के ढेरों विज्ञान हैं    
उनकी मुस्कुराहटों के ढेरों गणित हैं   
माँ, पत्नी, पुत्री या प्रेमिका   
किसी का भी जवाब तुम नहीं समझ सकोगे   
क्योंकि उनके जवाब में अपना फ़ॉर्मूला फिट करोगे,   
तुम्हारे सवाल और जवाब, दोनों सरल हैं   
पर स्त्री का मन, देवताओं के भी समझ से परे है   
तुम तो महज़ मानव हो   
छोड़ दो इन बातों को   
मत विश्लेषण करो स्त्रियों का   
समय और समझ से दूर   
एक अलग दुनिया है स्त्रियों की   
जहाँ किसी का प्रवेश प्रतिबंधित नहीं, न ही वर्जित है   
परन्तु शर्त एक ही है   
तुम महज़ मानव नहीं, इंसान बनकर प्रवेश करो   
फिर तुम भी जान जाओगे   
स्त्रियों का गणित   
स्त्रियों का विज्ञान   
स्त्रियों के जीवन का फ़ॉर्मूला   
फिर सारे सवाल मिट जाएँगे   
और जवाब तुम्हें मिल जाएगा।   

- जेन्नी शबनम (1. 9. 2018)   
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