नेह-निमंत्रण तुम बिसरा गए...
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नेह-निमंत्रण, तुम बिसरा गए
फिर आस खोई तो क्या हुआ ?
सपनों के बिना भी, हम जी लेंगे
मेरा दिल टूटा तो क्या हुआ ?
मुस्कान तुम्हारी, मेरा चहकना
फिर हँसी रोई तो क्या हुआ ?
यकीन हम पर, न तुम कर पाए
मेरा दंभ हारा तो क्या हुआ ?
ख़्वाबों में भी, जो तुम आ जाओ
तन्हा रात मिली तो क्या हुआ ?
मन का पिंजड़ा, अब भी है खुला
मेरा तन हारा तो क्या हुआ ?
तुम तक पहुँचती, सब राहों पर
अँगारे बिछे भी तो क्या हुआ ?
इरादा किया, तुम तक है पहुँचना
पाँव ज़ख्मी मेरा तो क्या हुआ ?
मुकद्दर का, ये खेल देखो
फिर मात मिली तो क्या हुआ ?
फिर आघात मिला तो क्या हुआ ?
मुश्किल है, फिर भी है जीना
ज़िन्दगी सौगात मिली तो क्या हुआ ?
उम्मीद की उदासी, रुख़सत होगी
अभी वक़्त है ठहरा तो क्या हुआ ?
- जेन्नी शबनम (मई 24, 2009)
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नेह-निमंत्रण, तुम बिसरा गए
फिर आस खोई तो क्या हुआ ?
सपनों के बिना भी, हम जी लेंगे
मेरा दिल टूटा तो क्या हुआ ?
मुस्कान तुम्हारी, मेरा चहकना
फिर हँसी रोई तो क्या हुआ ?
यकीन हम पर, न तुम कर पाए
मेरा दंभ हारा तो क्या हुआ ?
ख़्वाबों में भी, जो तुम आ जाओ
तन्हा रात मिली तो क्या हुआ ?
मन का पिंजड़ा, अब भी है खुला
मेरा तन हारा तो क्या हुआ ?
तुम तक पहुँचती, सब राहों पर
अँगारे बिछे भी तो क्या हुआ ?
इरादा किया, तुम तक है पहुँचना
पाँव ज़ख्मी मेरा तो क्या हुआ ?
मुकद्दर का, ये खेल देखो
फिर मात मिली तो क्या हुआ ?
प्रकाशन दिनांक
अजनबी तुम बन गए, अब तोफिर आघात मिला तो क्या हुआ ?
मुश्किल है, फिर भी है जीना
ज़िन्दगी सौगात मिली तो क्या हुआ ?
उम्मीद की उदासी, रुख़सत होगी
अभी वक़्त है ठहरा तो क्या हुआ ?
- जेन्नी शबनम (मई 24, 2009)
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