गुरुवार, 16 जून 2016

515. तय नहीं होता (तुकांत)

तय नहीं होता

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कोई तो फ़ासला है जो तय नहीं होता  
सदियों का सफ़र लम्हे में तय नहीं होता   

अजनबी से रिश्तों की गवाही क्या  
महज़ कहने से रिश्ता तय नहीं होता 

गगन की ऊँचाइयों पर सवाल क्यों  
यूँ शिकायत से रास्ता तय नहीं होता   

कुछ तो दरमियाँ दूरी रही अनकही-सी  
उम्र भर चले पर फ़ासला तय नहीं होता  

तक़दीर मिली मगर ज़रा तंग रही  
कई जंग जन्मों में तय नहीं होता   

बाख़बर भ्रम में जीती रही 'शब' हँसके  
मन की गुमराही से जीवन तय नहीं होता   

- जेन्नी शबनम (16. 6. 2016)  
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