स्त्री के बिना
(स्त्री पर 7 हाइकु)
(स्त्री पर 7 हाइकु)
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1.
अग्नि-परीक्षा
अब और कितना
देती रहे स्त्री !
2.
स्त्री हुई पापी
महज देखने से
पर-पुरुष !
3.
परों को काटा
पिंजड़े में जकड़ा
मन न रुका !
4.
स्त्री को मिलती
मुट्ठी-मुट्ठी उपेक्षा
जन्म लेते ही !
5.
घूरती रही
ललचाई नज़रें,
शर्म से गड़ी !
6.
कुछ न पाया
खुद को भी गँवाया
लाँछन पाया !
7.
स्त्री के बिना
बसता अँधियारा
घर श्मशान !
- जेन्नी शबनम (मार्च 8, 3013)
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