सँवरने नहीं देती
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दर्द की ज़ुबान मीठी है बहकने नहीं देती
लहू में डूबी है ज़िन्दगी सँवरने नहीं देती !
इक रूह है जो जिस्म में तड़पती रहती है
कमबख्त साँस हैं जो निकलने नहीं देती !
मसला तो हल न हुआ बस चलते ही रहे
थक गए पर ये ज़िन्दगी थमने नहीं देती !
वक़्त के ताखे पे रखी रही उम्र की बाती
किस्मत गुनहगार ज़िन्दगी जलने नहीं देती !
अब रूसवाई क्या और भला किससे करना
चाक-चाक दिल मगर आँसू बहने नहीं देती !
मेरे वास्ते अपनों की भीड़ ने कजा को पुकारा
शब से रूठी है कजा उसको मरने नहीं देती !
- जेन्नी शबनम (1. 7. 2020)
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