अनछुई-सी नज़्म...
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कुछ कहो कि
सन्नाटा भाग जाए
चुप्पियों को लाज आ जाए
अँधेरों की तक़दीर में
भर दो रोशनाई से रंग
कि छप जाए रंगों भरी ग़ज़ल
और सदके में झुक जाए
मेरी अनछुई-सी नज़्म !
- जेन्नी शबनम (5. 8. 2018)
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