दर्द
(दर्द पर 20 हाइकु)
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बहुत चाहा
दर्द की टकसाल
नहीं घटती !
2.
दर्द है गंगा
यह मन गंगोत्री -
उद्गमस्थल !
3.
मालूम होता
ग़र दर्द का स्रोत,
दफ़ना देते !
4.
दर्द पिघला
बादल-सा बरसा
ज़माने बाद !
5.
किस राह से
मन में दर्द घुसा,
नहीं निकला !
6.
टिका ही रहा
मन की देहरी पे,
दर्द अतिथि !
7.
बहुत मारा
दर्द ने चाबुक से,
मन छिलाया !
8.
तू न जा कहीं !
दर्द के बिना जीना
आदत नहीं !
9.
नहीं घटती !
2.
दर्द है गंगा
यह मन गंगोत्री -
उद्गमस्थल !
3.
मालूम होता
ग़र दर्द का स्रोत,
दफ़ना देते !
4.
दर्द पिघला
बादल-सा बरसा
ज़माने बाद !
5.
किस राह से
मन में दर्द घुसा,
नहीं निकला !
6.
टिका ही रहा
मन की देहरी पे,
दर्द अतिथि !
7.
बहुत मारा
दर्द ने चाबुक से,
मन छिलाया !
8.
तू न जा कहीं !
दर्द के बिना जीना
आदत नहीं !
9.
यूँ तन्हा किया
ज्यों चकमा दे दिया,
निगोड़ा दर्द !
निगोड़ा दर्द !
10.
ये आसमान
दर्द से रोता रहा,
भीगी धरती !
11.
सौग़ात मिली,
प्रेम के साथ दर्द,
ज्यों फूल-काँटे !
12.
मन में खिला
हर दर्द का फूल
रंग अनूठे !
13.
तमाम रात
कल लटका रहा
तारों-सा दर्द !
14.
क़ैद कर दूँ
पिंजरे में दर्द को
जी चाहता है !
15.
फुर्र से उड़ा
ज्यों ही तू घर आया
दर्द का पंछी !
16.
11.
सौग़ात मिली,
प्रेम के साथ दर्द,
ज्यों फूल-काँटे !
12.
मन में खिला
हर दर्द का फूल
रंग अनूठे !
13.
तमाम रात
कल लटका रहा
तारों-सा दर्द !
14.
क़ैद कर दूँ
पिंजरे में दर्द को
जी चाहता है !
15.
फुर्र से उड़ा
ज्यों ही तू घर आया
दर्द का पंछी !
16.
ज्यों ख़ाली हुई
मन की पगडंडी,
दर्द समाया !
17.
रोके न रुका,
दर्द समाया !
17.
रोके न रुका,
बेलगाम दौड़ता
दर्द है आया !
18.
18.
प्यार भी देता
मीठा-मीठा-सा दर्द,
यही तो मज़ा !
19.
मीठा-मीठा-सा दर्द,
यही तो मज़ा !
19.
दर्द उफ़ना,
बदरा बन घिरा,
बदरा बन घिरा,
आँखों से गिरा !
20.
छुप न सका,
आँखो ने चुगली की
दर्द है दिखा !
20.
छुप न सका,
आँखो ने चुगली की
दर्द है दिखा !
- जेन्नी शबनम (22. 5. 2015)
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