किसे लानत भेजूँ
*******
किस एहसास को जियूँ आज?
ख़ुद को बधाई दूँ
या लानत भेजूँ उन सबको
जो औरत होने पर गुमान करती हैं
और सबसे छुपकर हर रोज़
पलायन के नए-नए तरीक़े सोचती हैं
जिससे हो सके जीवन का सुनिश्चित अंत,
जो आज ख़ुद के लिए तोहफ़े खरीदती हैं
और बड़े नाज़ से
आज काम न करने का हक़ जताती हैं,
इतना तो है
आज के दिन अधिकार के लिए शुरू हुई लड़ाई
ज़रा सा हक़ दे गईबस एक दिन, भर लूँ साँसें राहत की
आख़िर मर्दों ने कर ही दिया
एक दिन हम औरतों के नाम
और छीन ली सदा के लिए
एक दिन हम औरतों के नाम
और छीन ली सदा के लिए
हमारी आज़ादी,
अंततः
हर औरतें हार गईं
हमारी क़ौम हार गई
किसे लानत भेजूँ?
उन गिनी चुनी औरतों को
जिनके सफ़र सुहाने थे
जिनके ज़ख़्मों पर मलहम लगे
इतिहास के कुछ पन्ने जिनके नाम सजे
और बाक़ियों को उन कुछ की एवज़ में
सदा के लिए बंदी बना दिया गया
जिन्हें अपनी हर साँस के लिए
किसी मर्द से गुहार करनी होती है,
लानत देती हूँ ख़ुद को
क्यों भीख माँगती हूँ
बस एक दिन अपने लिए
हर औरतें हार गईं
हमारी क़ौम हार गई
किसे लानत भेजूँ?
उन गिनी चुनी औरतों को
जिनके सफ़र सुहाने थे
जिनके ज़ख़्मों पर मलहम लगे
इतिहास के कुछ पन्ने जिनके नाम सजे
और बाक़ियों को उन कुछ की एवज़ में
सदा के लिए बंदी बना दिया गया
जिन्हें अपनी हर साँस के लिए
किसी मर्द से गुहार करनी होती है,
लानत देती हूँ ख़ुद को
क्यों भीख माँगती हूँ
बस एक दिन अपने लिए
जानती हूँ
आज भी कई स्त्रियों का जिस्म लूटेगा
बाज़ार में बिकेगा
आग और तेज़ाब में जलेगा,
यह भी तय है
बैनरों पोस्टरों के साथ
औरत की काग़ज़ी जीत पर नारा बुलंद होगा
छल-प्रपंच का तमाचा
आज भी कई स्त्रियों का जिस्म लूटेगा
बाज़ार में बिकेगा
आग और तेज़ाब में जलेगा,
यह भी तय है
बैनरों पोस्टरों के साथ
औरत की काग़ज़ी जीत पर नारा बुलंद होगा
छल-प्रपंच का तमाचा
आख़िर हमारे ही मुँह पर पड़ेगा
कुतिया कहलाऊँगी
जिसका बदन नर भोगेगा
डायन कहलाऊँगी
जिसे उसका ही खसम
ज़मीन पर पटक-पटककर मार डालेगा
रंडी कहलाऊँगी
जिसकी कमाई उसका सगा उड़ाएगा,
फिर भी मैं
आज के दिन इतराऊँगी
एक दिन जो मिला
क़र्ज़ सही, रहम सही
अपनी मुक्ति के नाम।
कुतिया कहलाऊँगी
जिसका बदन नर भोगेगा
डायन कहलाऊँगी
जिसे उसका ही खसम
ज़मीन पर पटक-पटककर मार डालेगा
रंडी कहलाऊँगी
जिसकी कमाई उसका सगा उड़ाएगा,
फिर भी मैं
आज के दिन इतराऊँगी
एक दिन जो मिला
क़र्ज़ सही, रहम सही
अपनी मुक्ति के नाम।
- जेन्नी शबनम (8. 3. 2014)
(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर)
_______________ _____