एक सांता आ जाता...
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मन चाहता
भूले भटके
मेरे लिए
दोनों हाथों में तोहफ़े लिए
काश !
दोनों हाथों में तोहफ़े लिए
काश !
आज मेरे घर
एक सांता
आ जाता
गहरी नींद से मुझे जगा
अपनी झोली से निकाल
थमा देता
मेरी हाथो में
परियों वाली जादू की छड़ी
और अलादीन वाला जादुई चिराग़
पूरे संसार को छू लेती
जादू की उस छड़ी से
और भर देती
सबके मन में
प्यार ही प्यार
बहुत अपार
चिराग़ के जिन से कहती
पूरी दुनिया को दे दे
कभी ख़त्म न होने वाला
अनाज का भंडार
सबको दे दे रेशमी परिधान
सबका घर बना दे राजमहल
न कोई राजा न कोई रंक
फिर सब तरफ़ दिखता
खुशियों का रंग
न कोई राजा न कोई रंक
फिर सब तरफ़ दिखता
खुशियों का रंग
काश !
आज मेरे घर
एक सांता
आ जाता !
- जेन्नी शबनम (25. 12. 2014)
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