मत सोच अधिक 
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1.
जो बीत गया 
मत सोच अधिक, 
बढ़ता चल।
2.
जीवन-पथ 
डराता है बहुत, 
हारना मत।
3.
सब आएँगे 
जब हम न होंगे, 
अभी न कोई। 
4.
अपने छूटे
सब सपने टूटे, 
जीवन बचा।
5.
बहलाती हैं
ये स्मृतियाँ सुख की 
जीवन-भ्रम।
6.
शोक क्यों भला?
ग़ैरों के विछोह का 
ठहरा कौन?
7.
कतराती हैं 
सीधी सरल राहें, 
वक़्त बदला।
8.
ताली बजाती 
बरखा मुस्कुराती 
ख़ूब बरसी। 
9.
सब बिकता  
पर क़िस्मत नहीं, 
लाचार पैसा।
10
सब अकेले 
चाँद-सूरज जैसे
फिर शोक क्यों?
11.
जीवन साया 
कौन पकड़ पाया,
मगर भाया। 
12.
ज़िन्दगी माया 
बड़ा ही भरमाया 
हाथ न आया।
13.
सपने जीना 
सपनों को जिलाना,
हुनर बड़ा।
14.
कैसी पहेली 
ज़िन्दगी की दुनिया,
रही अबूझी।
15.
ख़ुद से नाता  
जीवन का दर्शन,  
आज की शिक्षा।
- जेन्नी शबनम (21. 7. 2013)
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