शुक्रवार, 20 मई 2016

513. इश्क़ की केतली

इश्क़ की केतली

*******  

इश्क़ की केतली में  
पानी-सी औरत 
और चाय पत्ती-सा मर्द  
जब साथ-साथ उबलते हैं
चाय की सूरत  
चाय की सीरत  
नसों में नशा-सा पसरता है  
पानी-सी औरत का रूप  
बदल जाता है चाय पत्ती-से मर्द में  
और मर्द घुलकर  
दे देता है अपना सारा रंग  
इश्क़ ख़त्म हो जाए  
मगर हर कोशिशों के बावजूद  
पानी-सी अपनी सीरत   
नहीं बदलती औरत  
मर्द अलग हो जाता है  
मगर उसका रंग खो जाता है  
क्योंकि इश्क़ की केतली में  
एक बार  
औरत मर्द मिल चुके होते हैं।  

- जेन्नी शबनम (20. 5, 2016)
_____________________


रविवार, 8 मई 2016

512. माँ (मातृ दिवस पर 5 हाइकु) पुस्तक 79

माँ

*******   

1.  
छोटी-सी परी  
माँ का अँचरा थामे  
निडर खड़ी   

2.  
पराई कन्या  
किससे कहे व्यथा  
लाचार अम्मा   

3.  
पीड़ा भी पाता  
नेह ही बरसाता  
माँ का हृदय    

4.  
अम्मा की गोद  
छूमंतर हो जाता  
सारा ही सोग   

5.  
अम्मा लाचार  
प्यार बाँटे अपार  
देख संतान   

- जेन्नी शबनम (8. 5. 2016)
___________________


रविवार, 1 मई 2016

511. कैसी ये तक़दीर (क्षणिका)

कैसी ये तक़दीर

*******  

बित्ते भर का जीवन कैसी ये तक़दीर
नन्ही-नन्ही हथेली पर भाग्य की लकीर
छोटी-छोटी ऊँगलियों में चुभती है हुनर की पीर
बेपरवाह दुनिया में सब ग़रीब सब अमीर
आख़िर हारी आज़ादी बँध गई मन में ज़ंजीर
कहाँ कौन देखे दुनिया मर गए सबके ज़मीर 

- जेन्नी शबनम (1. 5. 2016)
_______________________