रविवार, 13 मार्च 2011

220. कब उजास होता है (तुकांत)

कब उजास होता है

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जाने कौन है जो आस पास होता है
दर्द यूँ ही तो नहीं ख़ास होता है

बहकते क़दमों को भला रोकें कैसे
हर तरफ़ उनका एहसास होता है

वो समझते नहीं है दिल की सदा
ज़ख़्म दिखाना भी परिहास होता है 

वक़्त की जादूगरी भी क्या खूब है
हँस-हँसकर जीवन उदास होता है 

ज़िन्दगी बसर कैसे हो भला उनकी
जिनके दिल में इश्क़ का वास होता है 

ग़ैरों के बदन को बेलिबास कर जाए
उनके मन पर कब लिबास होता है

'शब' सोचती है कल मिलेंगे उजाले से
तक़दीर में कब उसके उजास होता है 

- जेन्नी शबनम (11. 3. 2011)
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