गुरुवार, 28 मार्च 2019

611. जीवन मेरा (चोका - 11)

जीवन मेरा (चोका)   

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मेरे हिस्से में   
ये कैसा सफ़र है   
रात और दिन   
चलना जीवन है,   
थक जो गए   
कहीं ठौर न मिला   
चलते रहे   
बस चलते रहे,   
कहीं न छाँव   
कहीं मिला न ठाँव   
बढते रहे   
झुलसे मेरे पाँव,   
चुभा जो काँटा   
पीर सह न पाए   
मन में रोए   
सामने मुस्कुराए,   
किसे पुकारें   
मन है घबराए   
अपना नहीं   
सर पे साया नहीं,   
सुख व दु:ख   
आँखमिचौली खेले   
रोके न रुके   
तंज हमपे कसे,   
अपना सगा   
हमें छला हमेशा   
हमारी पीड़ा   
उसे लगे तमाशा,   
कोई पराया   
जब बना अपना   
पीड़ा सुन के   
संग-संग वो चला,   
किसी का साथ   
जब सुकून देता   
पाँव खींचने   
जमाना है दौड़ता,   
हमसफर   
काश ! कोई होता   
राह आसान   
सफर पूरा होता,   
शाप है हमें   
कहीं न पहुँचना   
अनवरत   
चलते ही रहना।   
यही जीवन मेरा।   

- जेन्नी शबनम (26. 3. 2019)   

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