सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

290. तब हुआ अबेर (क्षणिका)

तब हुआ अबेर

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जब मिला बेर, तब हुआ अबेर
मचा कोलाहल, चित्र दिया उकेर
छटपटाया मन, शब्द दिया बिखेर
बिछा सन्नाटा, अब जगा अँधेर
'शब' सो गई, तब हुआ सबेर। 

- जेन्नी शबनम (1. 10. 2011)
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