गाँव
(गाँव पर 20 हाइकु)
(गाँव पर 20 हाइकु)
1.
माटी का तन
माटी में ही खिलता
जीवन जीता !
2.
गोबर-पुती
हर मौसम सहे
झोपड़ी तनी !
3.
माटी में ही खिलता
जीवन जीता !
2.
गोबर-पुती
हर मौसम सहे
झोपड़ी तनी !
3.
अपनापन
बस यहीं है जीता
हमारा गाँव !
4.
बस यहीं है जीता
हमारा गाँव !
4.
भण्डार भरा,
प्रकृति का कुआँ
दान में मिला !
5.
गीत सुनाती
गाँव की पगडंडी
रोज़ बुलाती !
6.
ज़िन्दगी ख़त्म,
फूस की झोपड़ी से
नदी का घाट !
7.
चिरैया चुगे
लहलहाते पौध
धान की बाली !
8.
गाँव की मिट्टी
सोंधी-सोंधी महकी
बयार चली !
9.
कभी न हारी
धुँआँ-धुँआँ ज़िन्दगी
गाँव की नारी !
10.
रात अन्हार
दिन सूर्य उजार,
नहीं लाचार !
11.
सुख के साथी
गीत सुनाती
गाँव की पगडंडी
रोज़ बुलाती !
6.
ज़िन्दगी ख़त्म,
फूस की झोपड़ी से
नदी का घाट !
7.
चिरैया चुगे
लहलहाते पौध
धान की बाली !
8.
गाँव की मिट्टी
सोंधी-सोंधी महकी
बयार चली !
9.
कभी न हारी
धुँआँ-धुँआँ ज़िन्दगी
गाँव की नारी !
10.
रात अन्हार
दिन सूर्य उजार,
नहीं लाचार !
11.
सुख के साथी
माटी और पसीना,
भूख मिटाते !
12.
भरे किसान
खलिहान में खान,
अनाज सोना !
13.
किसान नाचे
खेत लहलहाए,
भदवा चढ़ा !
14.
कोठी में चन्दा
पर ज़िन्दगी फंदा,
क़र्ज़ में साँस !
15.
छीने सपने
गाँव की खुशबू के
बसा शहर !
16.
परों को नोचा
शहर की हवा ने
घायल गाँव !
17.
कुनमुनाती
गुनगुनी-सी हवा
फसल साथ !
18.
कच्ची माटी में
जीवन का संगीत,
गाँव की रीत !
19.
नैनों में भादों,
बदरा जो न आए
पौधे सुलगे !
20.
हुआ विहान,
बैल का जोड़ा बोला -
सरेह चलो !
- जेन्नी शबनम (2. 9. 2014)
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