बुधवार, 6 जुलाई 2011

262. ज़िन्दगी मौक़ा नहीं देती (क्षणिका)

ज़िन्दगी मौक़ा नहीं देती

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ख़ौफ़ के साये में ज़िन्दगी को तलाशती हूँ
ढेरों सवाल हैं पर जवाब नहीं
हर पल हर लम्हा एक इम्तहान से गुज़रती हूँ
ख़्वाहिशें इतनी कि पूरी नहीं होती
कमबख़्त, ये ज़िन्दगी मौक़ा नहीं देती। 

- जेन्नी शबनम (24. 1. 2009)
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