वक़्त मिले न मिले (क्षणिका)
*******
जो भी लम्हा मिले
चुन-चुन कर बटोरती हूँ,
दामन में अपने
जतन से सहेजती हूँ,
न जाने फिर कभी
वक़्त मिले न मिले !
- जेन्नी शबनम (अप्रैल 1, 2009)
______________________________
*******
जो भी लम्हा मिले
चुन-चुन कर बटोरती हूँ,
दामन में अपने
जतन से सहेजती हूँ,
न जाने फिर कभी
वक़्त मिले न मिले !
- जेन्नी शबनम (अप्रैल 1, 2009)
______________________________