सोमवार, 23 जनवरी 2023

756. पुल

पुल 

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पुल तो ध्वस्त हो गया   
जिससे दोनों पाटों को जोड़कर   
पार कर जाते थे अथाह खाई   
हाँ, एक पतली सी डोरी छोड़ दी थी   
शायद किसी मोड़ पर वापसी हो   
तो लौटना मुमकिन हो सके   
यह याद रखते हुए   
कि यह अन्तिम   
अस्त्र, शस्त्र और मन्त्र है   
जीवन के प्रवाह की   
यह डोरी अगर टूटी या छूटी   
फिर उम्र और वक़्त की सीमा कुछ भी हो   
जीवन एक पार ही रहेगा   
तमाम अंतर्द्वंद्वों को समझते जानते हुए   
अब कोई नया पुल न बनेगा   
न मरम्मत की जाएगी   
न कोई सूत जोड़ी या छोड़ी जाएगी।

- जेन्नी शबनम (23. 1. 23)
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