गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

736. मरजीना (10 क्षणिका)

मरजीना 
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1. 
मरजीना 
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मन का सागर दिन-ब-दिन और गहरा होता जा रहा   
दिल की सीपियों में क़ैद मरजीना बाहर आने को बेकल   
मैंने बिखेर दिया उन्हें कायनात के वरक़ पर।
-0- 

2. 
कुछ 
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सब कुछ पाना, ये सब कुछ क्या?   
धन दौलत, इश्क़ मोहब्बत, या कुछ और?   
जाने इस 'कुछ' का क्या अर्थ है।
-0- 

3. 
मौसम 
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बात-बात में गुज़रा है मौसम   
आँखों में रीत गया है मौसम   
देखो बदल गया है मौसम   
हिज्र का आ गया है मौसम। 
-०- 

4. 
हाथ नहीं आता 
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समय असमय टटोलती रहती हूँ   
अतीत के किस्सों की परछाइयाँ   
नींद को बुलाने की जद्दोजहद ज़ारी रहती है   
सब कुछ गडमगड हो जाता है   
रात बीत जाती है, कुछ भी हाथ नहीं आता   
न सपने, न सुख, न मेरे हिस्से के किस्से। 
-०- 

5. 
विलीन 
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ऐतिहासिक सुख, प्रागैतिहासिक दुःख   
सब के सब विलीन हो रहे हैं वर्तमान में   
घोर पीड़ा-पराजय, घोर उमंग-आनंद   
क्या सचमुच विलीन हो सकते हैं   
वर्तमान की आगोश में?   
नहीं-नहीं, वे दफन हैं ज़ेहन में   
साँसों की सलामती और   
महज़ ख़ुद के साथ होने तक।
-०- 

6. 
युद्धरत 
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युद्धरत मन में   
तलवारें जाने कहाँ-कहाँ किधर-किधर   
घुसती है, धँसती हैं   
लहू नहीं सिर्फ़ लोर बहता है   
अपार पीड़ा, पर युद्धरत मन हारता नहीं   
ज़्यादा तीव्र वार किसका   
सोचते-सोचते   
मुट्ठी में कस जाती है तलवार की मूठ। 
-०- 

7. 
जला सूरज 
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उस रोज़ चाँद को ग्रहण लगा   
बौख़लाया जाने क्यों सूरज   
सूर्ख़ लाल लहू से लिपट गई रात   
दिन की चीख़ से टूट गया सूरज   
शरद के मौसम में  
धू-धू कर जला सूरज। 
-०- 

8. 
क़र्ज़ और फ़र्ज़ 
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क़र्ज़ और फ़र्ज़ चुकाने के लिए   
जाने कितने जन्म लिए   
कंधों पर से बोझ उतरता नहीं   
क़र्ज़ जो अनजाने में मिला   
फ़र्ज़ जो जन्म से मिला   
कुछ भी चुक न सका   
यह उम्र भी यूँ ही गुज़र गई   
अब फिर से एक और जन्म   
वही क़र्ज़ वही फ़र्ज़   
आह! अब और नहीं! 
-०-

9. 
समझौता 
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वर्जनाओं को तोड़ना   
कई बार कठिन नहीं लगता   
कठिन लगता है   
उनका पालन या अनुसरण करना   
पर करना तो होता है, मन या बेमन   
यह समझौता है, जिसे आजीवन करना होता है। 
-०- 

10. 
जिजीविषा 
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सपनों और उम्मीदों का मरना   
जिजीविषा का ख़त्म होना है   
पर कभी-कभी ज़िन्दा रहने के लिए   
सपनों और उम्मीदों को मारना होता है   
और जीवन जीना होता है।   
जीवित रहना और दिखते रहना   
दोनों लाज़िमी है। 
-०- 

- जेन्नी शबनम (2. 12. 2021)
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