पूर्ण विराम...
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एक पूरा वजूद
धीमे-धीमे जलकर
राख़ में बदलता
चेतावनी देता
यही है अंत
सबका अंत
मुफलिसी में जियो
या करोड़ों बनाओ
चरित्र गँवाओ
या कि तमाम साँसें लिख दो
इंसानियत के नाम
बस यही पूर्ण विराम
यहीं पूर्ण विराम !
- जेन्नी शबनम (20. 1. 2014)
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