कुछ सवाल
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1.
कुछ सवाल ठहर जाते हैं मन में
माकूल जवाब मालूम है
मगर कहने की हिमाकत नहीं होती
कुछ सवालों को
सवाल ही रहने देना उचित है
जवाब आँधियाँ बन सकती हैं।
2.
खुद से एक सवाल है -
कौन हूँ मैं?
क्या एक नाम?
या कुछ और भी?
3.
सवालों का सिलसिला
तमाम उम्र पीछा करता रहा
इनमें उलझकर
मन लहूलुहान हुआ
पाँव भी छिले चलते-चलते
आखिरी साँस ही आखिरी सवाल होंगे।
4.
कुछ सवाल समुद्र की लहरें हैं
उठती गिरती
अनवरत तेज कदमों से चलती हैं
काले नाग-सी फुफकारती हैं
दिल की धड़कनें बढ़ाती हैं
मगर कभी रूकती नहीं
बेहद डराती हैं।
5.
सवालों की उम्र
कभी छोटी क्यों नहीं होती
क्यों ज़िन्दगी के बराबर होती है
जवाब न मिले तो चुपचाप मर क्यों नहीं जाते
सवालों को भी ऐसी ही खत्म हो जाना चाहिए
जैसे साँसे थम जाए तो उम्र खत्म होती है।
- जेन्नी शबनम (2. 12. 2019)
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