आज़माया हमको
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बेख़याली ने कहाँ-कहाँ न भटकाया हमको
होश आया तो तन्हाई ने तड़पाया हमको ।
इस बाज़ार की रंगीनियाँ लुभाती नहीं अब
नन्ही आँखों की उदासी ने रुलाया हमको ।
उन अनजान-सी राहों पर यूँ चल तो पड़े हम
असूफ़ों और फ़रिश्तों ने आज़माया हमको ।
वजह-ए-निख्वत उनकी दूर जो गए हम
मिले कभी फिर तो गले भी लगाया हमको ।
रुसवाइयों से उनकी तरसते ही रहे हम
इश्क की हर शय ने बड़ा सताया हमको ।
दर्द दुनिया का देख के घबराई बहुत 'शब'
ऐ ख़ुदा ऐसा ज़माना क्यों दिखाया हमको ।
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असूफ़ - दुष्ट
वजह-ए-निख्वत - अंहकार के कारण
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- जेन्नी शबनम (जुलाई 4, 2009)
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बेख़याली ने कहाँ-कहाँ न भटकाया हमको
होश आया तो तन्हाई ने तड़पाया हमको ।
इस बाज़ार की रंगीनियाँ लुभाती नहीं अब
नन्ही आँखों की उदासी ने रुलाया हमको ।
उन अनजान-सी राहों पर यूँ चल तो पड़े हम
असूफ़ों और फ़रिश्तों ने आज़माया हमको ।
वजह-ए-निख्वत उनकी दूर जो गए हम
मिले कभी फिर तो गले भी लगाया हमको ।
रुसवाइयों से उनकी तरसते ही रहे हम
इश्क की हर शय ने बड़ा सताया हमको ।
दर्द दुनिया का देख के घबराई बहुत 'शब'
ऐ ख़ुदा ऐसा ज़माना क्यों दिखाया हमको ।
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असूफ़ - दुष्ट
वजह-ए-निख्वत - अंहकार के कारण
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- जेन्नी शबनम (जुलाई 4, 2009)
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