गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

53. क्या बात करें (अनुबन्ध/तुकान्त)

क्या बात करें

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सफ़र ज़िन्दगी का कटता नहीं
एक रात की क्या बात करें 

हाल पूछा नहीं कभी किसी ने
ग़मे-दिल की क्या बात करें 

दर्द का सैलाब है उमड़ता
एक आँसू की क्या बात करें

इक पल ही सही क़रीब तो आओ
तमाम उम्र की क्या बात करें

मिल जाओ कभी राहों में कहीं
तुम्हारी सही अपनी क्या बात करें

एक उम्र तो नाकाफ़ी है
जीवन-पार की क्या बात करें

तुम आ जाओ या कि ख़ुदा
फ़रियाद है 'शब' की, अभी क्या बात करें

-जेन्नी शबनम (मई, 1998)
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