नए साल में मेरा चाँद
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चाँद के दीदार को
हम तरस गए
अल्लाह !
अमावास का अंत
क्यों होता नहीं?
मुमकिन है नया साल
चाँद से
रूबरू करा जाए !
- जेन्नी शबनम (6. 1. 2011)
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चाँद के दीदार को
हम तरस गए
अल्लाह !
अमावास का अंत
क्यों होता नहीं?
मुमकिन है नया साल
चाँद से
रूबरू करा जाए !
- जेन्नी शबनम (6. 1. 2011)
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