सोमवार, 25 मई 2020

666. मंत्र

मंत्र 

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अपनी पीर छुपाकर जीना   
मीठे कहके आँसू पीना   
ये दस्तूर निभाऊँ कैसे   
जिस्म है घायल छलनी सीना।   

रिश्ते-नाते निभ नहीं पाते   
करें शिकायत किसकी किससे   
गली चौबारे ख़ुद में सिमटे   
दरख़्त हुए सब टुकड़े-टुकड़े।   

मृदु भावों की बली चढ़ाकर   
मतलबपरस्त हुई ये दुनिया   
ख़िदमत में मिट जाओ भी गर   
कहेगी क़िस्मत सोई ये दुनिया।   

बेग़ैरत हूँ कहेगी दुनिया   
ख़िदमत न कर ख़ुद को सँवारा   
साथ नहीं कोई ब्रम्ह या बाबा   
पीर पैगम्बर नहीं सहारा।   

पीर पराई कोइ न समझे   
मर-मरके छोड़े कोई जीना   
ख़त्म करो अब हर ताल्लुक को   
मंत्र ये जीवन का दोहराना। 
   
यूँ ही अब दुनिया में रहना   
यूँ ही अब दुनिया से जाना   
ख़त्म करो अब हर ताल्लुक को   
मंत्र ये जीवन का दोहराना।