मंत्र
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अपनी पीर छुपाकर जीना
मीठे कह के आँसू पीना
ये दस्तूर निभाऊँ कैसे
जिस्म है घायल छलनी सीना
रिश्ते नाते अब निभते कहाँ
शिकवे शिकायत किससे भला
गली चौबारे खुद में सिमटे
दरख़्त भी हुए टुकड़े-टुकड़े
संवेदनाओं की बली चढ़ाकर
मतलबपरस्त हो गई दुनिया
खिदमत में मिट जाओ भी गर
किस्मत सोई कहेगी दुनिया
साथ नहीं कोई ब्रह्म बाबा
पीर-पैगम्बर का नहीं सहारा
पीर पराई समझे कब कोई
मर-मर कर जीना छोड़े हर कोई
खतम न हो ताल्लुकात सारा
जीने का यह मंत्र दोहराना।
- जेन्नी शबनम (25. 5. 2020)
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