रविवार, 25 मार्च 2012

334. परवाह (क्षणिका)

परवाह

*******

कई बार प्रेम के रिश्ते फाँस-से चुभते हैं
इसलिए नहीं कि रिश्ते ने दर्द दिया
इसलिए कि रिश्ते ने परवाह नहीं की
और प्रेम की आधारशिला परवाह होती है। 

- जेन्नी शबनम (22. 3. 2012)
____________________