शनिवार, 5 अप्रैल 2014

448. पात झरे यूँ (पतझर पर 10 हाइकु) पुस्तक 52,53

पात झरे यूँ 

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1.
पात झरे यूँ 
तितर-बितर ज्यूँ 
चाँदनी गिरे।

2.
पतझर ने 
छीन लिए लिबास
गाछ उदास

3.
शैतान हवा
वृक्ष की हरीतिमा
ले गई उड़ा

4.
सूनी है डाली
चिड़िया न तितली
आँधी ले उड़ी।

5.
ख़ुशी बिफरी 
मन में पतझर
उदासी फैली

6.
खुशियाँ झरी
जिन्दगी की शाख़ से
ज्यों पतझर।

7.
काश मैं होती
गुलमोहर जैसी
बेपरवाह।

8.
फिर खिलेगी
मौसम कह गया
सूनी बगिया।

9.
न रोको कभी
आकर जाएँगे ही
मौसम सभी।

10.
जिन्दगी ऐसी
पतझर के बाद
वीरानी जैसी।

- जेन्नी शबनम (4. 4. 2014)
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