कहो ज़िन्दगी...
कहो ज़िन्दगी
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आज का क्या सन्देश है
किस पथ पे जाना शुभ है
किन राहों पे अशुभ घड़ी का दोष है ?
कहो ज़िन्दगी
आज कौन सा दिन है
सोम है या शनि है
उजालों का राज है या, अँधेरों का मायाजाल है
स्वप्न और दुःस्वप्न का, क्या आपसी करार है ?
कहो ज़िन्दगी
अभी कौन सा पहर है, सुबह है या रात है
या कि ढ़लान पर उतरती
ज़िन्दगी की आखिरी पदचाप है ?.
अपनी कसी मुट्ठियों में, टूटते भरोसे की टीस
किससे छुपा रही हो?
मालूम तो है
यह संसार पहुँच से दूर है
फिर क्यों चुप हो, अशांत हो ?
अनभिज्ञ नहीं तुम
फिर भी लगता है, जाने क्यों
तुम्हारी खुद से, नहीं कोई पहचान है
कहों ज़िन्दगी
क्या यही हो तुम?
सवाल दागती, सवालों में घिरी
खुद सवाल बन, अपने जवाब तलाशती !
सारे जवाब जाहिर हैं, फिर भी
पूछने का मन है -
कहो ज़िन्दगी तुम्हारा कैसा हाल है ?
- जेन्नी शबनम (दिसंबर 12, 2012)
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