समय
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1.
समय
समय हर बार मरहम नहीं बनता
कई बार पुराने से ज़्यादा बड़ा घाव दे देता है
कई बार पुराने से ज़्यादा बड़ा घाव दे देता है
जो ताउम्र नहीं भरता
उस घाव का
उस घाव का
सड़ना, गलना और मवाद का बहना देख
अपनी ताक़त पर घमण्ड करता समय
अपनी ताक़त पर घमण्ड करता समय
हाथ बाँधे अकड़कर खड़ा रहता है।
2.
रुदाली
मन में अनुभव की किरचें हैं
जो हर घड़ी चुभती हैं
जो हर घड़ी चुभती हैं
चुप ज़ुबान में गीतों की लड़ी है
जो रुदन बन गूँजती है
बिखरते सपनों की छटपटाहट है जो हर घड़ी टीस देती है
दर्द के फाहे से दर्द को पोंछती हूँ
और अपनी साँसे कुतरती हूँ
ज़िन्दगी की अरथी सजी है
मैं रुदाली बन गई हूँ।
3.
यूँ मानो तनी हुई रस्सी पर
नटी की तरह कलाबाज़ी सीख ली है
गिरते-पड़ते-उठते
संतुलन बना लिया मैंने
अब अग्रसर हूँ
जीवन जीने की कला के साथ।
मैं फूल-सी जन्म लेकर
एक समर्थ लड़की बनी
दुनिया के तीखे बोल से
मैं फूल से पत्थर बनी
अपने दर्द ख़ुद से कहकर
पत्थर से काग़ज़ बनी
अब हर्फ़-हर्फ़ बिखरी हूँ मैं
काग़ज़ों में रची हूँ मैं
अपने दिए ज़ख़्मों को
अब तुम सब ख़ुद ही पढ़ो।
बेहद कठिन होता है
पीली पड़ती पत्तियों को हरा रखना
4.
काग़ज़
मैं फूल-सी जन्म लेकर
एक समर्थ लड़की बनी
दुनिया के तीखे बोल से
मैं फूल से पत्थर बनी
अपने दर्द ख़ुद से कहकर
पत्थर से काग़ज़ बनी
अब हर्फ़-हर्फ़ बिखरी हूँ मैं
काग़ज़ों में रची हूँ मैं
अपने दिए ज़ख़्मों को
अब तुम सब ख़ुद ही पढ़ो।
5.
गाँठ
मानो या न मानो, फ़रेब नहीं था
बस नादानियाँ थीं थोड़ी
जिसने न जीने दिया न मरने
दिल की दहलीज़ पर एक गाँठ पड़ गई
जिससे रिश्तों की डोरी छोटी पड़ गई
मन में चुभती ये गाँठें
जज़्बात को हद में रखती हैं।
6.
देर न हो जाए
पीली पड़ती पत्तियों को हरा रखना
मर रहे पौधों को जिलाना
बीत चुके मौसम को यादों में वापस बुलाना,
देर न हो जाए, सँभल जाओ
वर्ना सारे तर्क और सारे फ़लसफ़े
धरे रह जाएँगे
और झंकृत दुनिया वीरान हो जाएगी,
समय को मुरझाने से पहले सींच लो।
बीत चुके मौसम को यादों में वापस बुलाना,
देर न हो जाए, सँभल जाओ
वर्ना सारे तर्क और सारे फ़लसफ़े
धरे रह जाएँगे
और झंकृत दुनिया वीरान हो जाएगी,
समय को मुरझाने से पहले सींच लो।
7.
मिन्नत
चाँदनी की चाह में
करती रही चाँद से मिन्नतें
चाँद दग़ा दे गया
अपनी चाँदनी ले गया
चाँद दग़ा दे गया
अपनी चाँदनी ले गया
जाने किसे दे दिया
मुझमें अमावस भर गया
हाय! ये क्या कर गया
क्यों बेवफ़ा हो गया।
8.
ताप भर नाता
ताप भर नाता
दिल में बचाए रखना
जब सामने रास्ता होगा
पर ज़िन्दगी चल न सकेगी
ठण्डी पड़ रही साँसों को
तब ज़रूरत होगी।
जब सामने रास्ता होगा
पर ज़िन्दगी चल न सकेगी
ठण्डी पड़ रही साँसों को
तब ज़रूरत होगी।
9.
संगदिल
जाओ! तुम सबको आज़ाद किया
सम्बन्ध और कर्तव्य से,
संगदिल के साथ
कुछ वक़्त गुज़ारा जा सकता है
तमाम उम्र नहीं।
10.
इस दुनिया के उस पार
अपनी समस्त आकांक्षाओं के साथ
चली जाना चाहती हूँ
सबसे दूर, बहुत दूर
इस दुनिया के उस पार
जहाँ से मेरी पुकार
कभी किसी तक न पहुँचे।
-जेन्नी शबनम (1.1.2022)
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