प्यार करते रहे
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तुम न समझे फिर भी हम कहते रहे
('दिल के अरमां आँसुओं में बह गए' के तर्ज़ पर)
प्यार था हम प्यार ही करते रहे !
छाँव की बातें कहीं, और चल दिए
जिंदगी की धूप में जलते रहे !
तुम न आए जब, जहां हँसता रहा
जिंदगी रूठी औ हम ठिठके रहे !
चैन दमभर को न आया था कभी
और तुम कहते हो, हम हँसते रहें !
बेवफ़ाई तुमसे है जाना, मगर
हम वफ़ा के गीत ही रचते रहे !
ढल गई शब, अब सहर होने को है
सोच के साये से हम लड़ते रहे !
बारहा तुमने हमें टोका मगर
अपनी धुन में गीत हम कहते रहे !
आए तुम आकर भी कब के जा चुके
हम सफर तन्हा मगर करते रहे !
अबके जो जाओ, तो आना मत सनम
हम तुम्हारे बिन भी अब रहते रहे !
सौ जनम ‘शब‘ ने जिए हैं आज तक
इस जनम में बोझ क्यों कहते रहे !
('दिल के अरमां आँसुओं में बह गए' के तर्ज़ पर)
- जेन्नी शबनम (13. 1. 2020)
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