जी चाहता है (7 क्षणिकाएँ)
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1.
1.
जी चाहता है
तुम्हारे साथ बिताई
सभी यादों को
धधकते चूल्हे में झोंक दूँ
और फिर
पानी डाल दूँ
ताकि चिंगारी भी शेष न बचे!
तुम्हारे साथ बिताई
सभी यादों को
धधकते चूल्हे में झोंक दूँ
और फिर
पानी डाल दूँ
ताकि चिंगारी भी शेष न बचे!
2.
जी चाहता है
तुम्हारे साथ बीते
उम्र के हर वक़्त को
एक ताबूत में बंद कर
नदी में बहा आऊँ
और वापस उस उम्र में लौट जाऊँ
जहाँ से ज़िन्दगी
नई राह तलाशती
सफ़र पर निकलती है!
तुम्हारे साथ बीते
उम्र के हर वक़्त को
एक ताबूत में बंद कर
नदी में बहा आऊँ
और वापस उस उम्र में लौट जाऊँ
जहाँ से ज़िन्दगी
नई राह तलाशती
सफ़र पर निकलती है!
3.
जी चाहता है
तुम्हारे साथ जिए उम्र को
धकेल कर
वापस ले जाऊँ
जब शुरुआत थी
हमारी ज़िन्दगी की
और
तब जो छूटा गया था
अब पूरा कर लूँ!
तुम्हारे साथ जिए उम्र को
धकेल कर
वापस ले जाऊँ
जब शुरुआत थी
हमारी ज़िन्दगी की
और
तब जो छूटा गया था
अब पूरा कर लूँ!
4.
जी चाहता है
तुम्हारा हाथ पकड़
धमक जाऊँ
तुम्हारा हाथ पकड़
धमक जाऊँ
चित्रगुप्त जी के आॅफिस
रजिस्टर में से
हमारे कर्मों का पन्ना फाड़ कर
उससे पंख बना उड़ जाऊँ
रजिस्टर में से
हमारे कर्मों का पन्ना फाड़ कर
उससे पंख बना उड़ जाऊँ
सभी सीमाओं से दूर!
5.
जी चाहता है
टाइम मशीन में बैठ कर
टाइम मशीन में बैठ कर
उम्र के उस वक़्त में चली जाऊँ
जब कामनाएँ अधूरी रह गई थीं
सब के सब पूरा कर लूँ
और कभी न लौटूँ!
जब कामनाएँ अधूरी रह गई थीं
सब के सब पूरा कर लूँ
और कभी न लौटूँ!
6.
जी चाहता है
स्वयं के साथ
सदा के लिए लुप्त हो जाऊँ
मेरे कहे सारे शब्द
जो वायुमंडल में विचरते होंगे
सब के सब विलीन हो जाएँ
मेरी उपस्थिति के चिह्न
मिट जाएँ
न अतीत
न वर्तमान
न आधार
यूँ जैसे
इस धरा पर
कभी आई ही न थी!
स्वयं के साथ
सदा के लिए लुप्त हो जाऊँ
मेरे कहे सारे शब्द
जो वायुमंडल में विचरते होंगे
सब के सब विलीन हो जाएँ
मेरी उपस्थिति के चिह्न
मिट जाएँ
न अतीत
न वर्तमान
न आधार
यूँ जैसे
इस धरा पर
कभी आई ही न थी!
7.
जी चाहता है
पीले पड़ चुके प्रमाण पत्रों और
पीले पड़ चुके प्रमाण पत्रों और
पुस्तक पुस्तिकाओं को
गाढ़े-गाढ़े रंगों में घोलकर
एक कलाकृति बनाऊँ
और सामने वाली दीवार में लटका दूँ
अपने अतीत को
यूँ ही रोज़ निहारूँ!
- जेन्नी शबनम (26. 8. 2014)
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