तन्हा-तन्हा हम रह जाएँगे
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सब छोड़ जाएँगे जब हमको
तन्हा-तन्हा हम रह जाएँगे
किसे बताएँगे ग़म औ खुशियाँ
सदमा कैसे हम सह पाएँगे।
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सब छोड़ जाएँगे जब हमको
तन्हा-तन्हा हम रह जाएँगे
किसे बताएँगे ग़म औ खुशियाँ
सदमा कैसे हम सह पाएँगे।
किसकी तक़दीर में क्यों हुए वो शामिल
कभी नहीं हम कह पाएँगे
अपनी हाथ की फिसलती लकीरों में
उनको सँभाल हम कब पाएँगे।
हर तरफ़ फैला सन्नाटा
यूँ ही पुकारते हम रह जाएँगे
है अजब पहेली ज़िन्दगी
उलझन सुलझा कैसे हम पाएँगे।
हर रोज़ तकरार करते हैं
और कहते कि वो चले जाएँगे
अपनी शिकायत किससे करें
ग़ैरों से नहीं हम कह पाएँगे।
जाने कैसे कोई रहता तन्हा
मगर नहीं हम रह पाएँगे
ज़िन्दगी की बाबत बोली 'शब'
तन्हाई नहीं हम सह पाएँगे।
- जेन्नी शबनम (8. 5. 2011)
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