गुरुवार, 8 मार्च 2018

568. पायदान (क्षणिका)

पायदान  

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सीढ़ी की पहली पायदान हूँ मैं  
जिसपर चढ़कर समय ने छलाँग मारी  
और चढ़ गया आसमान पर  
मैं ठिठककर तब से खड़ी  
काल-चक्र को बदलते देख रही हूँ,  
न जिरह न कोई बात कहना चाहती हूँ  
न हक़ की, न ईमान की, न तब की, न अब की।  
शायद यही प्रारब्ध है मेरा  
मैं, सीढ़ी की पहली पायदान।  

- जेन्नी शबनम (8. 3. 2018)  
(महिला दिवस)
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