दीयों की पाँत 
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1.  
तम हरता  
उजियारा फैलाता  
मन का दीया।   
2.  
जाग्रत हुई  
रोशनी में नहाई  
दिवाली-रात।   
3.  
साँसें बेचैन,  
पटाखों को भगाओ  
दीप जलाओ।   
4.  
पशु व पक्षी  
थर-थर काँपते,  
पटाखे यम।   
5.  
फिर से आई  
ख़ुशियों की दीवाली  
हर्षित मन।   
6.  
दीवाली रात  
दीयों से डरकर  
जा छुपा चाँद।   
7.  
अँधेरी रात  
कर रही विलाप,  
दीयों की ताप।   
8.  
सूना है घर,  
बैरन ये दीवाली  
मुँह चिढ़ाती।   
9.  
चाँद जा छुपा  
सूरज जो गुस्साया  
दीवाली रात।   
10.  
झुमती रात  
तारों की बरसात  
दीयों की पाँत।   
-जेन्नी शबनम (19.10.2017)  
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