चाँद का रथ (7 हाइकु)
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1.
थी विशेषता
जाने क्या-क्या मुझमें,
हूँ अब व्यर्थ !
2.
सीले-सीले-से
गर हों अजनबी,
होते हैं रिश्ते !
3.
मन का द्वन्द
भाँपना है कठिन
किसी और का !
4.
हुई बावली
सपनों में गुजरा
चाँद का रथ !
5.
जन्म के रिश्ते
सदा नहीं टिकते
जग की रीत !
6.
अनगढ़-से
कई-कई किस्से हैं
साँसों के संग !
7.
हाइकु ऐसे
चंद लफ़्ज़ों में पूर्ण
ज़िन्दगी जैसे !
- जेन्नी शबनम (फरवरी 18, 2013)
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