अवसाद के क्षण...
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वैसे ही लुढ़क जाते हैं
जैसे कड़क धूप के बाद
शाम ढलती है
जैसे अमावास के बाद
चाँदनी खिलती है
जैसे अविरल अश्रु के बहने के बाद
मन में सहजता उतरती है,
जीवन कठिन है
मगर इतना भी नहीं
कि जीते-जीते थक जाएँ
और फिर
ज्योतिष से ग्रहों को अपने पक्ष में करने के
उपाय पूछें
या फिर
सदा के लिए
स्वयं को स्वयं में
समाहित कर लें,
अवसाद भटकाव की दुविधा नहीं
न पलायन का मार्ग है
अवसाद ठहर कर चिंतन का क्षण है
स्वयं को समझने का
स्वयं के साथ रहने का
अवसर है,
हर अवसाद में
एक नए आनंद की उत्पत्ति
संभावित है
अतः जीवन का ध्येय
अवसाद को जीकर
आनंद पाना है !
- जेन्नी शबनम (11. 5. 2014)
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