सोमवार, 1 जुलाई 2019

617. सरमाया (क्षणिका)

सरमाया   

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ये कैसा दौर आया है, पहर-पहर भरमाया है   
कुछ माँगूँ तो ईमान मरे, न माँगूँ तो ख़्वाब मरे   
क़िस्मत से धक्का-मुक्की, पोर-पोर घबराया है   
जद्दोज़हद में युग बीते, यही मेरा सरमाया है।   

- जेन्नी शबनम (1. 7. 2019)   
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