मंगलवार, 7 जनवरी 2025

787. तुम्हें जीत जाना है

तुम्हें जीत जाना है

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जीवन की हर रस्म निभाने का समय आ गया है
उस चक्रव्यूह में समाने का समय आ गया है
जिसमें जाने के रास्तों का पता नहीं
न बाहर निकलने का पता होता है
इस चक्रव्यूह में तय, कब कोई रास्ता होता है?
यह वह समय है, जब हर पल समझ से परे हो जाता है।

जीवन कभी आसमान की परिधि में महसूस करता है 
तो कभी आसमान से धरती पर पटक दिया जाता है
जिस समय को अपना समझते हैं
उसके द्वारा पूरा-का-पूरा वजूद झटक दिया जाता है
उल्लास से मन भीग रहा होता है 
कि अवसाद का अनदेखा साया मँडराने लगता है। 

यथार्थ के धरातल पर कुदरत की माया दिखेगी    
तभी दुश्चिंताओं की काली छाया दिखेगी  
हर स्वप्न अधूरा-सा लगेगा
जीवन अर्थहीन-सा लगेगा
सपनों का सुन्दर संसार सामने होगा
मगर ज़िम्मेदारियों से मन घबराएगा
पथ तो चुन लिया, मगर सफल न होने की सम्भावना  
मन को व्याकुल करेगी
सोचे-विचारे रास्ते, अँधेरे से घिरे दिखेंगे
न ठहरने का ठौर होगा, न रास्तों के सिरे दिखेंगे। 

राह उचित है या अनुचित
यह अपनी-अपनी तरह से सब सोचते हैं 
जीवन हमारा है, रास्ता हमें ही खोजना होता है  
जीवन के सफ़र में तय कब कोई रास्ता होता है?
अनजाना या अनचाहा हो, पर चलते हैं 
मगर जहाँ पहुँच गए, वहाँ से न रास्ते
न पथिक लौटते हैं।

यह वह समय है जब निर्णय पर सन्देह नहीं 
भरोसा करना होगा
रास्ता कच्चा हो या पक्का आगे बढ़ना होगा 
सम्भव है चुनाव ग़लत हो जाए
मन टूट जाए
पर हौसला टूटने नहीं देना है
मंज़िल इसी पर कहीं होगी
रास्ता छूटने नहीं देना है
मन जो चाहे वह करना है
काँटे तो मिलेंगे ही यही मानकर यही जानकार 
फूल चुनना है।

चिन्तन-मनन के बाद भी सफ़र न सुहाए
तो थमकर-सोचकर नई राह तलाशना है
दुःख को हार नहीं, हौसले में बदलना है
इस सत्य को स्वीकार करना है 
कि दिल की तरह दिन-रात केवल चलना है
एक-न-एक दिन वह समय अवश्य आएगा
जब स्वयं पर गर्व होगा
स्वाभिमान से परिपूर्ण जीवन होगा
कठिनाइयों पर विजय होगी
हार नहीं, साथ में बस साहस होगा
हर सवाल का सामने जवाब होगा
और उस दिन फिर से ज़िन्दगी का हिसाब होगा।  

प्रयास का परिणाम अवश्य सुखद होता है
जीवन सुन्दर है, सुन्दरता से सँवारना है 
स्वर्ग आज आकाश पर है तो क्या 
धरती पर उतारना है 
हर नए दिन को आनन्दमय बनाना है
जीवन से पलों का एक रिश्ता है, वह रिश्ता निभाना है
जीवन को जीवित रखना है, बेशक पलों को बीत जाना है 
यह लड़ाई है या खेल, बस तुम्हें जीत जाना है। 

-जेन्नी शबनम (7.1.2025)
(पुत्री के 25वें जन्मदिन पर)
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बुधवार, 1 जनवरी 2025

786. नव वर्ष (20 हाइकु)

नव वर्ष 

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1.
मन में आस-
नव वर्ष की भोर
हो पुनर्जन्म।

2.
लेकर आशा
नव वर्ष है आया
शुभ सन्देश।

3.
उँगली थामे
नव वर्ष की भोर
घूमने चली।

4.
चहकती है
नव वर्ष की भोर
ख़ूब है शोर।

5.
ठिठुरन है
पर मन में जोश
नूतन वर्ष। 

6.
पहली तिथि
नव वर्ष की भोर
ठण्ड से काँपी।

7.
जश्न की रात
स्वागत में संसार
नवीन वर्ष।

8.
धुँध में आई
नव वर्ष की भोर
मन विभोर।  

9.
दुःख को भूलें
नव वर्ष का दिन
स्वागत करें।

10.
नवीन वर्ष
उमंग पसारने
फिर से आया। 

11.
पिछला वर्ष
बना है इतिहास
याद आएगा।

12.
नूतन वर्ष
धक्का देके भगाया
पुराना वर्ष।

13.
साल पुराना
बन गया अतीत,
नया आएगा।

14.
स्मृति छोड़के
चुपचाप गुज़रा
साल पुराना।

15.
भोर की रश्मि
नव वर्ष को थामे
वक़्त पर आई।

16.
सन्देशा लाया-
वक़्त के साथ चलो,
नवीन वर्ष। 

17.
छुड़ाके लौटा
नए साल का हाथ
पिछला साल।

18.
याद दिलाता
वक़्त का बदलाव
नूतन वर्ष।

19.
बिछड़ गया
सुख-दुःख का साथी
पिछला साल।

20.
नूतन वर्ष,
वक़्त दोहराएगा
काल का क्रम।

-जेन्नी शबनम (1.1.2025)
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