रविवार, 25 मई 2025

793. किरदार

किरदार

***

थक गई हूँ अपने किरदार से
इस किरदार को बदलना होगा
ढेरों शिकायत है वक़्त से
कुछ तो उपाय करना होगा
वक़्त न लौटता है, न थमता है
मुझे ख़ुद को अब रोकना होगा
ज़मीन-आसमान हासिल नही
नसीब से कब तक लड़ना होगा?
न अपनों से उम्मीद, न ग़ैरों से
हदों को मुझे ही समझना होगा
बेइख़्तियार रफ़्तार ज़िन्दगी की
अब ज़िन्दगी को रुकना होगा
थक गई हूँ अपने किरदार से 
इस किरदार को अब मरना होगा  
'शब' का किरदार ख़त्म हुआ 
इस किरदार को मिटना होगा। 

-जेन्नी शबनम (25.5.2025)
___________________

मंगलवार, 6 मई 2025

792. सफ़र जारी है

सफ़र जारी है

***

बहुत कुछ छूट गया
बहुत कुछ छोड़ दिया
ज़िन्दगी न ठहरी, न थमी
चलती रही, फिरती रही 
न कोई राह दिखाने वाला 
न कोई साथ निभाने वाला  
राह बनाती रही, बढ़ती रही  
न मक़ाम आया, न मंज़िल ही मिली     
मन भारी है, सफ़र जारी है  
मगर ज़िन्दगी नहीं हारी है।

-जेन्नी शबनम (6.5.2025)
__________________