रविवार, 25 मार्च 2012

334. परवाह (क्षणिका)

परवाह

*******

कई बार प्रेम के रिश्ते फाँस-से चुभते हैं
इसलिए नहीं कि रिश्ते ने दर्द दिया
इसलिए कि रिश्ते ने परवाह नहीं की
और प्रेम की आधारशिला परवाह होती है। 

- जेन्नी शबनम (22. 3. 2012)
____________________

18 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

एकदम सच.....
जो परवाह नहीं करते
वे रिश्ते प्रेम के होते ही नहीं...

सुन्दर भाव जेन्नी जी.

रविकर ने कहा…

आभार ।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन


सादर

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 26/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

प्रेम होता नहीं , वहम बनकर वक़्त बिताता है , फिर चुभता है

mridula pradhan ने कहा…

choti si.....bhawpoorn hai lekin.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच है प्रेम का मतलब ही है की दूजे की परवाह करना ... बहुत खूब ...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/03/6.html

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

सही बात है। प्रेम की नींव ही परवाह है।

***Punam*** ने कहा…

एकदम 100% सच.....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक बात काही है ...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

सही कहा आपने...
उम्दा प्रस्तुति...

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

एकदम सही कहा है....

Shikha Kaushik ने कहा…

BAHUT KHOOB SHABNAM JI .BADHAI
LIKE THIS PAGE AND SHOW YOUR PASSION OF INDIAN HOCKEY मिशन लन्दन ओलंपिक हॉकी गोल्ड

Maheshwari kaneri ने कहा…

जिस प्रेम में परवाह नहीं वो सिर्फ दिखावा है..गहन अभिव्यक्ति...

Pallavi saxena ने कहा…

बिलकुल सच कहा आपने बहुत ही सुंदर एवं सार्थक रचना...

सहज साहित्य ने कहा…

"जेन्नी शबनम जी बहुत भावपूर्ण कविता है ।परवाह में आपने सब कुछ समेट दिया है-सचमुच प्रेम एक दूसरे की परवाह करना ही है , भावना की क़्द्र करना ही प्रेम है ।

Madhuresh ने कहा…

...प्रेम की आधारशिला परवाह होती है !
वाह!