रविवार, 1 जनवरी 2017

534. जीवन को साकार करें (क्षणिका)

जीवन को साकार करें 

*******  

अति बुरी होती है  
साँसों की हो या संयम की  
विचलन की हो या विभोर की  
प्रेम की हो या परित्याग की  
जीवन सहज, निरंतर और मंगल है  
अतियों का त्यागकर, सीमित को अपनाकर  
जीवन के लय में बहकर  
जीवन का सत्कार करें, जीवन को साकार करें  

- जेन्नी शबनम (1. 1. 2017)
___________________

7 टिप्‍पणियां:

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

Sundar panktiya

Udan Tashtari ने कहा…

सार्थक!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-01-2017) को "नए साल से दो बातें" (चर्चा अंक-2575) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

कविता रावत ने कहा…

सच है "अति सर्वत्र वर्जयेत"
बहुत सही ....
आपको नए साल की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं

kuldeep thakur ने कहा…

दिनांक 04/01/2017 को...
आप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस प्रस्तुति में....
सादर आमंत्रित हैं...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आमीन ... आशा भरी रचना ... जीवन का सत्कार करें ...
नव वर्ष की मंगल कामनाएं ...

Unknown ने कहा…

अति सार्थक रचना। बधाई।