जीवन की गंध
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यहाँ भी कोई नहीं, वहाँ भी कोई नहीं
नितान्त अकेले तय करना है
तमाम राहों को पार करना है
पाप-पुण्य, सुख-दुःख
मन की अवस्था, तन की व्यवस्था
समझना ही होगा, सँभालना ही होगा
यह जीवन और जीवन की गंध।
- जेन्नी शबनम (10. 10. 2019)
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4 टिप्पणियां:
"समझना ही होगा
सँभलना ही होगा
यह जीवन और जीवन की गंध"
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१२-१०-२०१९ ) को " ग़ज़ब करते हो इन्सान ढूंढ़ते हो " (चर्चा अंक- ३४८६ ) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
साथ भर हो तो हो
वरना सफ़र खुद को तय करना होता है।
सुंदर रचना।
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉 ख़ुदा से आगे
सुंदर प्रस्तुति
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