शनिवार, 14 जुलाई 2012

355. बनके प्रेम-घटा (4 सेदोका)

बनके प्रेम-घटा 
(4 सेदोका)

******* 

1.
मन की पीड़ा 
बूँद-बूँद बरसी
बदरी से जा मिली  
तुम न आए 
साथ मेरे रो पड़ीं  
काली घनी घटाएँ !

2.
तुम भी मानो 
मानती है दुनिया-
ज़िन्दगी है नसीब
ठोकरें मिलीं  
गिर-गिर सँभली
ज़िन्दगी है अजीब !  

3.
एक पहेली 
उलझनों से भरी 
किससे पूछें हल ? 
ज़िन्दगी है क्या 
पूछ-पूछके हारे 
ज़िन्दगी है मुश्किल ! 

4.
ओ प्रियतम !
बनके प्रेम-घटा 
जीवन पे छा जाओ 
प्रेम की वर्षा 
निरंतर बरसे
जीवन में आ जाओ !

- जेन्नी शबनम (जुलाई 13, 2012)

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20 टिप्‍पणियां:

सहज साहित्य ने कहा…

प्रेम-घटा से तरबतर ये सेदोका भारतीय काव्य की ऊँचाई के दर्शन कराते हैं । डॉ महावीर सिंह जी ने कई साल पहले डॉ भगवत शरण अग्रवाल की प्रेरणा से कुछ सेदोका लिखे थे । उनको ऊँचाई देने वालों में डॉ सुधा गुप्ता डॉ भावना कुँअर, डॉ हरदीप सन्धु, डॉ ज्योत्स्ना शर्मा आदि प्रमुख रही है। जेन्नी जी के सेदोका बहुत भावपूर्ण हैं ।

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

सेदोका बढ़िया लगी

PRAN SHARMA ने कहा…

VIBHINN BHAAVON MEIN RACHEE - BASEE
AAPKEE KAVITAAYEN DIL AUR DIMAAG PAR
CHHAA GAYEE HAIN .

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
इस विधा की जानकारी के लिए आभार,,,,,,,

RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...

Anupama Tripathi ने कहा…

वाह सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति ...
शुभकामनायें

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहूत सुंदर सभी बेहतरीन है...

Ramakant Singh ने कहा…

एक पहेली
उलझनों से भरी
किससे पूछें हल ?
ज़िन्दगी है क्या
पूछ-पूछके हारे
ज़िन्दगी है मुश्किल !

ALL LINES ARE SUPERB.
WITH EMOTIONS AND FEELINGS.

प्रेम सरोवर ने कहा…

प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट "अतीत से वर्तमान तक का सफर पर" आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत बढ़िया....
एक नयी विधा से परिचय भी हुआ..
आभार.

अनु

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kya baat hai di :)
kavita ke har vidha pe raaj kar rahi ho aap:)

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुंदर

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सभी शब्दचित्र बहुत सटीक हैं।

mridula pradhan ने कहा…

khoob achcha likhi hain......

राजेश सिंह ने कहा…

बेहतरीन.
छोटे-छोटे प्रश्न और अपेक्षाए नन्हे कदमो से चलती हुई

Maheshwari kaneri ने कहा…

मन की पीड़ा बूँद-बूँद बरसी बदरी से जा मिली...बहुत खुबसूरत ..

सदा ने कहा…

एक पहेली
उलझनों से भरी
किससे पूछें हल ?
ज़िन्दगी है क्या
पूछ-पूछके हारे
ज़िन्दगी है मुश्किल !
बहुत ही बढिया ।

Arshia Ali ने कहा…

Man ko chhu gayr bhaav..
............
ये है- प्रसन्न यंत्र!
बीमार कर देते हैं खूबसूरत चेहरे...

RADHIKA ने कहा…

सुन्दर लेखन ...बहुत अच्छा लिखा हैं आपने ...बारिश हो रही हैं तब पढना और वास्तविक लगता हैं ....

Madan Mohan Saxena ने कहा…

ख्याल बहुत सुन्दर है .
वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है... बधाई आपको. सादर वन्दे
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

नई विधा से परिचय हुआ... सादर आभार...
और खूबसूरत भाव भरी सेदोका के लिए सादर बधाई.