धरातल
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ग़ैरों की दास्ताँ क्यों सुनूँ?
अपनी राह क्यों न बनाऊँ?
जो पसन्द, बस वही क्यों न करूँ?
दूसरों के कहे से जीवन क्यों जीऊँ?
मुमकिन है ऐसे कई सवाल कौंधते हों तुममें
मुमकिन है इनके जवाब भी हों तुम्हारे पास
जो तुम्हारी नज़रों में सटीक है
और सदैव जायज़ भी।
परन्तु सवाल एक जगह ठहरकर
अपने जवाब तलाश नहीं कर सकते
न ही सवाल-जवाब के इर्द-गिर्द के अँधेरे
रोशनी को पनाह देते हैं।
मुमकिन है मेरी तय राहें, तुम्हें व्यर्थ लगती हों
मेरे जिए हुए सारे अनुभव
तुम्हारे हिसाब से मेरी असफलता हो
मेरी राहों पर बिछे फूल व काँटे
मेरी विफलता सिद्ध करते हों
परन्तु एक सच है
जिसे तुम्हें समझना ही होगा
उन्हीं राहों से तुम्हें भी गुज़रना होगा
जिन राहों पर चलकर मैंने मात खाई है
उन फूलों को चुनने की ख़्वाहिश तुम्हें भी होगी
जिन फूलों की ख़्वाहिश में मुझे
सदैव काँटों की चुभन मिली है
उन ख़्वाबों की फ़ेहरिस्त बनाना तुम्हें भी भाएगा
जिन ख़्वाबों की लम्बी फ़ेहरिस्त
अपूर्ण रही, और आजीवन मेरी नींदों को डराती रही।
दूसरों की जानी दिशाओं पर चलना
व्यर्थ महसूस होता है
दूसरों के अनुभव से जानना
सन्देह पैदा करता है।
परन्तु राह आसान हो
सपने पल जाएँ और जीवन सहज हो
तुम सुन लो वह सारी दास्तान
जो मेरे जीवन की कहानी है
ताकि राह में तुम अटको नहीं, भटको नहीं
सपने ठिठकें नहीं, जीवन सिमटे नहीं।
दूसरों के प्रश्न और उत्तर से
ख़ुद के लिए उपयुक्त प्रश्न और उत्तर बनाओ
ताकि धरातल पर जीवन की सुगन्ध फैले
और तुम्हारा जीवन परिपूर्ण हो।
जान लो
सपने और जीवन
यथार्थ के धरातल पर ही सफल होते हैं।
-जेन्नी शबनम (7.1.2018)
(पुत्री की 18वीं जन्मतिथि)
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5 टिप्पणियां:
जन्मदिन पर इससे बेहतर तोहफ़ा क्या हो सकता है. नवोदित पीढी को दी गयी सीख बेमिशाल है. हमारी ओर से भी आपकी बिटिया को जन्मदिन की मंगलकामनाएें.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-01-2018) को "हमारा सूरज" (चर्चा अंक-2843) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
काबिलेतारीफ
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 10 जनवरी2018 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जान लो
सपने और जीवन
यथार्थ के धरातल पर ही
सफल होते हैं।
शब्दशः सत्य लिखा है आपने !! बहुत सुन्दर !!
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