तुम्हें जीत जाना है
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जीवन की हर रस्म निभाने का समय आ गया है
उस चक्रव्यूह में समाने का समय आ गया है
जिसमें जाने के रास्तों का पता नहीं
न बाहर निकलने का पता होता है
इस चक्रव्यूह में तय, कब कोई रास्ता होता है?
यह वह समय है, जब हर पल समझ से परे हो जाता है।
जीवन कभी आसमान की परिधि में महसूस करता है
तो कभी आसमान से धरती पर पटक दिया जाता है
जिस समय को अपना समझते हैं
उसके द्वारा पूरा-का-पूरा वजूद झटक दिया जाता है
उल्लास से मन भीग रहा होता है
उस चक्रव्यूह में समाने का समय आ गया है
जिसमें जाने के रास्तों का पता नहीं
न बाहर निकलने का पता होता है
इस चक्रव्यूह में तय, कब कोई रास्ता होता है?
यह वह समय है, जब हर पल समझ से परे हो जाता है।
जीवन कभी आसमान की परिधि में महसूस करता है
तो कभी आसमान से धरती पर पटक दिया जाता है
जिस समय को अपना समझते हैं
उसके द्वारा पूरा-का-पूरा वजूद झटक दिया जाता है
उल्लास से मन भीग रहा होता है
कि अवसाद का अनदेखा साया मँडराने लगता है।
यथार्थ के धरातल पर कुदरत की माया दिखेगी
तभी दुश्चिंताओं की काली छाया दिखेगी
हर स्वप्न अधूरा-सा लगेगा
जीवन अर्थहीन-सा लगेगा
सपनों का सुन्दर संसार सामने होगा
मगर ज़िम्मेदारियों से मन घबराएगा
पथ तो चुन लिया, मगर सफल न होने की सम्भावना
तभी दुश्चिंताओं की काली छाया दिखेगी
हर स्वप्न अधूरा-सा लगेगा
जीवन अर्थहीन-सा लगेगा
सपनों का सुन्दर संसार सामने होगा
मगर ज़िम्मेदारियों से मन घबराएगा
पथ तो चुन लिया, मगर सफल न होने की सम्भावना
मन को व्याकुल करेगी
सोचे-विचारे रास्ते, अँधेरे से घिरे दिखेंगे
न ठहरने का ठौर होगा, न रास्तों के सिरे दिखेंगे।
सोचे-विचारे रास्ते, अँधेरे से घिरे दिखेंगे
न ठहरने का ठौर होगा, न रास्तों के सिरे दिखेंगे।
राह उचित है या अनुचित
यह अपनी-अपनी तरह से सब सोचते हैं
जीवन हमारा है, रास्ता हमें ही खोजना होता है
जीवन के सफ़र में तय कब कोई रास्ता होता है?
अनजाना या अनचाहा हो, पर चलते हैं
मगर जहाँ पहुँच गए, वहाँ से न रास्ते
न पथिक लौटते हैं।
यह वह समय है जब निर्णय पर सन्देह नहीं
मगर जहाँ पहुँच गए, वहाँ से न रास्ते
न पथिक लौटते हैं।
यह वह समय है जब निर्णय पर सन्देह नहीं
भरोसा करना होगा
रास्ता कच्चा हो या पक्का आगे बढ़ना होगा
सम्भव है चुनाव ग़लत हो जाए
मन टूट जाए
पर हौसला टूटने नहीं देना है
मंज़िल इसी पर कहीं होगी
रास्ता छूटने नहीं देना है
मन जो चाहे वह करना है
काँटे तो मिलेंगे ही यही मानकर यही जानकार
सम्भव है चुनाव ग़लत हो जाए
मन टूट जाए
पर हौसला टूटने नहीं देना है
मंज़िल इसी पर कहीं होगी
रास्ता छूटने नहीं देना है
मन जो चाहे वह करना है
काँटे तो मिलेंगे ही यही मानकर यही जानकार
फूल चुनना है।
चिन्तन-मनन के बाद भी सफ़र न सुहाए
तो थमकर-सोचकर नई राह तलाशना है
दुःख को हार नहीं, हौसले में बदलना है
चिन्तन-मनन के बाद भी सफ़र न सुहाए
तो थमकर-सोचकर नई राह तलाशना है
दुःख को हार नहीं, हौसले में बदलना है
इस सत्य को स्वीकार करना है
कि दिल की तरह दिन-रात केवल चलना है
एक-न-एक दिन वह समय अवश्य आएगा
जब स्वयं पर गर्व होगा
स्वाभिमान से परिपूर्ण जीवन होगा
कठिनाइयों पर विजय होगी
हार नहीं, साथ में बस साहस होगा
हर सवाल का सामने जवाब होगा
और उस दिन फिर से ज़िन्दगी का हिसाब होगा।
एक-न-एक दिन वह समय अवश्य आएगा
जब स्वयं पर गर्व होगा
स्वाभिमान से परिपूर्ण जीवन होगा
कठिनाइयों पर विजय होगी
हार नहीं, साथ में बस साहस होगा
हर सवाल का सामने जवाब होगा
और उस दिन फिर से ज़िन्दगी का हिसाब होगा।
प्रयास का परिणाम अवश्य सुखद होता है
जीवन सुन्दर है, सुन्दरता से सँवारना है
जीवन सुन्दर है, सुन्दरता से सँवारना है
स्वर्ग आज आकाश पर है तो क्या
धरती पर उतारना है
हर नए दिन को आनन्दमय बनाना है
जीवन से पलों का एक रिश्ता है, वह रिश्ता निभाना है
हर नए दिन को आनन्दमय बनाना है
जीवन से पलों का एक रिश्ता है, वह रिश्ता निभाना है
जीवन को जीवित रखना है, बेशक पलों को बीत जाना है
यह लड़ाई है या खेल, बस तुम्हें जीत जाना है।
-जेन्नी शबनम (7.1.2025)
(पुत्री के 25वें जन्मदिन पर)
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2 टिप्पणियां:
वाह! सकारात्मकता से भरी ,सुंदर रचना ! पुत्री जी को सप्रेम आशीर्वाद 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
शुभकामनाएं बेटी के लिए |
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