याद तुम्हें ज़रा नहीं
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एक शाम हो सिर्फ़ मेरी, चाह है कोई ख़ता नहीं
इश्क़ की कहानी तुमने कही, याद तुम्हें ज़रा नहीं।
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एक शाम हो सिर्फ़ मेरी, चाह है कोई ख़ता नहीं
इश्क़ की कहानी तुमने कही, याद तुम्हें ज़रा नहीं।
अमावास का दीप सही, पर बताए कैसे दिशा मेरी
दूर है एक चाँद खिला, पर ध्रुव तारा-सा जला नहीं।
खो आई कुछ अपना, जब टूटा था तुम्हारा वादा
विश्वास की डोर जो टूटी, फिर कुछ अब बचा नहीं।
महज़ एक रात का नाता, उस सफ़र का वादा यही
हर तक़ाज़ा था तुम्हारा, मैंने किया कोई दग़ा नहीं।
तुम्हारा प्यार ज़्यादा, या मेरी तक़दीर कम पड़ी
रब की मर्ज़ी रब जाने, फैसला मेरा कभी रहा नहीं।
दर्द देकर कहते हो, आ जाओ सनम है जीवन सूना
सब अख़्तियार तुम ले बैठे, 'शब' ने कुछ कहा नहीं।
- जेन्नी शबनम (10. 1. 2010)
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yaad tumhein zaraa nahin
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ek shaam ho sirf meri, chaah hai koi khataa nahin
ishq ki kahani tumne kahi, yaad tumhe zaraa nahin.
amaawas ka deep sahi, par bataye kaise dishaa meri
door ek chaand khila, par dhruv taaraa-sa jala nahin.
kho aayee kuchh apna, jab toota thaa tumhara wada
wishwaas ki dor jo tooti, fir kuchh ab bachaa nahin.
mahaz ek raat ka nata, us safar ka wada yahi
har takaza thaa tumhaara, maine kiya koi dagaa nahin.
tumhara pyar jyaada, ya meri takdeer kam padee
rab ki marzi rab jaane, faisla mera kabhi rahaa nahin.
dard dekar kahte ho, aa jao sanam hai jiwan soona
sab akhtiyaar tum le baithey, 'shab' ne kuchh kahaa nahin.
- Jenny Shabnam (10. 1. 2010)
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6 टिप्पणियां:
"एक याद ही ऐसी है, जो आती नहीं उनकी!
आए भी वो कैसे? उन्हें हम भूलते कब हैं?"
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ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, रंग-रँगीली शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", उर्दू कौन सी भाषा का शब्द है?
संपादक : "सरस पायस"
एक शाम हो सिर्फ मेरी, चाह है कोई ख़ता नहीं,
इश्क की कहानी तुमने कही, याद तुम्हें ज़रा नहीं!
दर्दे दास्ताँ अच्छी है.
Ravendra ji,
bahut pyaari baat kahi hai, jinhe hum bhoolte nahin to yaad kaise kare.
yaha aane keliye bahut dhanyawaad.
kaushik ji,
rachna ki sarahna keliye bahut aabhar.
WOW..WOW.
दर्द देकर कहते हो, आ जाओ सनम है जीवन सूना,
सब अख्तियार तुम ले बैठे, ''शब'' ने कुछ कहा नहीं !
sundar
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