मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

231. ज़िन्दगी से छीना-झपटी ज़ारी है (तुकांत)

ज़िन्दगी से छीना-झपटी ज़ारी है

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पहली साँस से अंतिम साँस तक का, सफ़र जारी है
कौन मिला कौन बिछड़ा, ज़ेहन में तस्वीर सारी है

सपनों का पलना और फिर टूटना, ज़ख़्म तो है बहुत
किससे करूँ गिला शिकवा, सच मेरी तक़दीर हारी है

एक रोज़ मिला था कोई मुसाफ़िर, राहों में तन्हा-तन्हा
साथ चले कुछ रोज़ फिर कह गया, मेरी हर शय ख़ारी है 

नहीं इस मर्ज़ का इलाज़, बेकार गई दुआ तीमारदारी
थक गए सभी, अब कहते कि अल्लाह की वो प्यारी है 

ख़ुद से एक जंग छिड़ी, तय है कि फ़ैसला क्या होना
लहूलुहान फिर भी, ज़िन्दगी से छीना-झपटी ज़ारी है 

नहीं रुकती दुनिया वास्ते किसी के, सच मालूम है मुझे
शायद तक़दीर के खेल में हारना, मेरी ही सभी पारी है

जीने की ख़्वाहिश मिटती नहीं, नए ख्व़ाब हूँ सजाती
ज़ाहिर ही है हर पल होती, ज़िन्दगी से मारा-मारी है

इस जहाँ को कभी हुआ नहीं, उस जहाँ को हो दरकार
हर नाते तोड़ रही 'शब', यहाँ से जाने की पूरी तैयारी है

- जेन्नी शबनम (16. 11. 2010)
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9 टिप्‍पणियां:

सहज साहित्य ने कहा…

जीने की ख़्वाहिश मिटती नहीं, नए ख्व़ाब हूँ सजाती
ज़ाहिर हीं है हर पल होती,ज़िन्दगी से मारा मारी है ! -बस नए ख़्वाब सजाते रहिए, ज़िन्दगी से मारा मारी भी करती रहिए । जीने की ख़्वाहिश बनी रहेगी । इस दुनिया को हर ख़्वाहिश वाले की ज़रूरत है । मैं तो यही कहूँगा-
सपना ही सही सजाए रखिए ज़िन्दगी का भ्रम बनाए रखिए हसरतें हज़ार हैं, ज़िन्दगी है कुछ तो उम्मीद बचाए रखिए । -रामेश्वर काम्बोज

प्रफुल्लानंद चिंतानंद देवव्रत शास्त्री ने कहा…

हर नाते तोड़ रही ''शब'', यहाँ से जाने की पूरी तैयारी है ! खुद को कितना पहचानती हैं आप

udaya veer singh ने कहा…

sarthak ,samvedanshil kavita . achha
laga padhakar. badhayi

SAJAN.AAWARA ने कहा…

PAHALI SANS SE ANTIM SANS KA SAFAR JARI HAI. . . MAM BAHUT ACHCHHI ABHIVAYKTI HAI

रश्मि प्रभा... ने कहा…

जीने की ख़्वाहिश मिटती नहीं, नए ख्व़ाब हूँ सजाती
ज़ाहिर हीं है हर पल होती, ज़िन्दगी से मारा मारी है !
behtareen bhaw

संजय भास्‍कर ने कहा…

नहीं रुकती दुनिया वास्ते किसी के, सच मालूम है मुझे
शायद तकदीर के खेल में हारना, मेरी हीं सभी पारी है !
क्या बात है ....!
बहुत बढ़िया लाइने हैं यह ! शुभकामनायें आपको !!

Unknown ने कहा…

नहीं रुकती दुनिया वास्ते किसी के, सच मालूम है मुझे
शायद तकदीर के खेल में हारना, मेरी हीं सभी पारी है

आतंरिक भावो का बेहतरीन संकलन भी अभिव्यक्ति भी

***Punam*** ने कहा…

"खूबसूरत सी ग़ज़ल..."

हर दिल के करीब...

हर दिल अज़ीज़...!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

नहीं रुकती दुनिया वास्ते किसी के, सच मालूम है मुझे
शायद तकदीर के खेल में हारना, मेरी हीं सभी पारी है !
kisi jauhri ki tarah aap bhawnaaon ko maanj rahi hain